सेल्फ क्वारैंटाइन करें, चीन में कोरोना के 80% केस परिवार के सदस्यों से एक-दूसरे में फैले

क्वरैंटाइन क्या है? और इस समय खुद को कैसे रखा जाता है? यह सवाल मौजूदा वक्त में हर किसी के जेहन में चलता रहता है। क्वारैंटाइन, वो समय है, जब आप कोविड 19 से संक्रमित होने की आशंका के चलते परिवार, दोस्तों और समाज से अलग रहते हैं। केवल छूने भर से फैल रहे कोरोनावायरस को रोकने का सबसे अच्छा तरीका भी यही माना जा रहा है। अमेरिका में लाखों लोग आज केवल आशंका के कारण सेल्फ क्वारैंटाइन हैं। भारत में लोगों को क्वरैंटाइन करने के लिए लॉकडाउन लगाया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट बताती है कि चीन में 70 से 80 फीसदी संक्रमण परिवार में एक-दूसरे से ही फैला था।



सेल्फ आइसोलेशन और सेल्फ क्वारैंटाइन में क्या फर्क है?



  • क्वारैंटाइन से ही मिलता-जुलता एक और शब्द है आइसोलेशन, लेकिन दोनों में फर्क है। सेल्फ क्वारैंटाइन कर रहे लोग संक्रमित नहीं हैं। उन्होंने कोविड 19 जैसे लक्षण दिखने पर सावधानी के लिए खुद को अलग कर लिया है। वहीं, सेल्फ आइसोलेटेड लोग कोरोना पॉजिटिव हैं, जो वायरस की रोकथाम और ट्रीटमेंट के लिए अलग हो जाते हैं।

  • चीन से शुरू हुआ कोरोनावायरस दुनिया के करीब 200 देशों में फैल चुका है। ग्लोबल लेवल पर इस वायरस के फैलने का कारण एक्सपर्ट्स ट्रैवलिंग को भी बताते हैं। दुनिया के कई देशों ने कोरोना ट्रांसमिशन से बचने के लिए इंटरनेशनल ट्रैवलर्स पर बैन लगा दिया है। जबकि अमेरिका में एक स्टेट से दूसरे स्टेट जाने में भी सख्ती से जांच की जा रही है। ज्यादातर देश लॉकडाउन का सहारा ले रहे हैं।

  • देश में कोरोना टेस्टिंग की व्यवस्था भी पर्याप्त नहीं है, जिसके चलते लाखों अमेरिकी किसी बीमार व्यक्ति से मिलने के बाद सेल्फ क्वारैंटाइन कर रहे हैं। ऐसे में एक देश से दूसरे देश से आए लोगों को दो हफ्तों के तक अलग रहने की सलाह दी जा रही है। सेल्फ क्वारैंटाइन के दौरान खुद को और परिवार को सुरक्षित रखने के लिए कुछ बेसिक आदतों का ध्यान रखना जरूरी है।

  • सेपरेशन - अगर आपको बीमारी महसूस हो रही है तो खुद को परिवार से अलग कर लीजिए। एक कमरा और टॉयलेट केवल आप के उपयोग के लिए ही होगा। इस दौरान न तो आप किसी से मिलेंगे और न ही ट्रेवल करेंगे।

  • मास्क - कोरोना बहुत आसानी से फैलता है। केवल छींक, खांसी से कोई भी इसका शिकार हो सकता है। ऐसे में अगर आप घर में या कहीं भी लोगों के बीच हैं, तो मास्क का उपयोग जरूर करना चाहिए। वहीं, अगर परिवार के लोग भी मास्क पहनकर ही आपसे मिलेंगे।

  • हाइजीन - साफ-सफाई का बहुत ध्यान रखें। खांसते या छींकते वक्त जिस टिश्यू का उपयोग कर रहे हैं उसे तुरंत कचरे में डालें। हाथों को आंख, नाक और मुंह पर न लगाएं। इसके अलावा दिन में बार-बार करीब 20 सेकेंड तक अपने हाथ धोएं।

  • डिसइन्फेक्ट - आपके उपयोग में आ रहे घर में खाने के बर्तन, टॉवेल किसी के साथ शेयर न करें। लगातार छूने में आ रही चीजें जैसे, फोन, नल, गेटनॉब, कीबोर्ड को बार-बार साफ करें।

  • मॉनिटरिंग - अपनी हेल्थ का ध्यान रखें। अगर आपको स्वास्थ्य संबंधित कोई गंभीर लक्षण दिख रहे हैं तो डॉक्टर से तुरंत बात करें।


सेल्फ क्वारैंटाइन से क्या असर पड़ता है?
क्वारैंटाइन में आप कहीं भी बाहर नहीं जा सकते हैं। ऐसे में स्वास्थ्य के बाद इसका सीधा असर जेब पर भी पड़ता है। दिहाड़ी या समय के हिसाब से कमाने वाले लोगों के लिए सेल्फ क्वारैंटाइन भावनात्मक और आर्थिक रूप से परेशान करने वाला है। हालांकि अमेरिकी सरकार ने 2 ट्रिलियन डॉलर पैकेज में सेल्फ क्वारैंटाइन के चलते बेरोजगार हुए लोगों को भी शामिल किया है।


क्वारैंटाइन को कैसे सपोर्ट करें?
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी लैंगोन मेडिकल सेंटर के बायोएथिक्स के प्रोफेसर आर्थर कैपलन के मुताबिक हमें क्वारैंटाइन को बढ़ावा देने के लिए सामाजिक दखल देना होगा, नहीं तो हम सब तबाह हो जाएंगे। वहीं, जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के लॉ प्रोफेसर लॉरेंस गॉस्टिन बताते हैं कि भले ही आप कोविड 19 से संक्रमित हो या नहीं, लेकिन अगर आप बीमार हैं तो आपको खुद को समाज से अलग कर लेना चाहिए। यह आप अपने परिवार और समाज के लिए कर रहे हैं। इसके बदले में सरकारें आपकी दवाई, खाना और स्वास्थ्य सेवाओं जैसी जरूरतों को पूरे करेंगी।'